नमस्कार दोस्तों,
जब पूरी दुनिया में महंगाई का तांडव चल रहा है तब भारत भी इससे प्रभावित है लेकिन अगर तुलनात्मक तौर पर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे विकसित देशों से तुलना करें तो पिछले एक वर्ष के दौरान भारत में रहने व खाने के खर्चे में बढ़ोतरी की दर कम रही है। एसबीआइ की तरफ से शुक्रवार को जारी शोध रिपोर्ट इकोरैप में यह बात कही गई है।
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भारत में महंगाई का दुष्प्रभाव सबसे कम-
रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पूरी दुनिया में अनिश्चितता है तब भारत को इस वजह से नखलिस्तान कहा जा रहा है कि यहां महंगाई का दुष्प्रभाव दूसरे देशों के मुकाबले सबसे कम है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने भी हाल ही में एक रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि किस तरह से महंगाई ने पूरी दुनिया में आम आदमी के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। वर्ष 2004 के बाद से वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में 75 फीसद का इजाफा हुआ है। इकोरैप ने भारतीय सौ रुपये की कीमत के आधार पर कई देशों में रहने सहने की लागत का अध्ययन किया गया है। पिछले एक वर्ष के दौरान रुपये के मुकाबले इन विदेशी मुद्राओं की कीमत में हुए अंतर का भी ख्याल रखा गया है। इस आधार पर कहा गया है कि अगर सितंबर, 2021 में इन देशों में रहने की लागत सौ रुपये है तो इसमें जर्मनी में 20 रुपये, ब्रिटेन में 23 रुपये और अमेरिका में 12 रुपये की वृद्धि हुई है। भारत में यह वृद्धि 12 रुपये की है।

विकसित देशों के मुकाबले का भारत का बेहतर प्रदर्शन-
अगर खाद्य कीमतों की बात करें तो अमेरिका में 25 रुपये, ब्रिटेन में 18 रुपये, जर्मनी में 33 रुपये और भारत में 15 रुपये की वृद्धि हुई है। इसी तरह से आवास की लागत की बात करें तो अमेरिका में 21 रुपये, ब्रिटेन में 30 रुपये, जर्मनी में 21 रुपये और भारत में सिर्फ छह रुपये की वृद्धि हुई है। ऊर्जा कीमतों के मामले में अमेरिका में 12 रुपये, ब्रिटेन में 93 रुपये, जर्मनी में 62 रुपये और भारत में 16 रुपये की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में उक्त आकलन के आधार पर कहा गया है कि दुनिया के अधिकांश विकसित देशों में रहने व खाने की लागत काफी बढ़ गई है, लेकिन भारत में यह वृद्धि इनके मुकाबले कम है। वैसे इन देशों को सूक्ष्म प्रबंधन के मामले में काफी होशियार माना जाता है इसके बावजूद भारत का प्रदर्शन ज्यादा बेहतर रहा है।
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