नमस्कार दोस्तों,
अमेरिका के वाशिंगटन स्थित पाकिस्तान के पुराने दूतावास की इमारत को बेचने की तैयारी तेज कर दी है। उसे फौरन ऑफिस से मंजूरी भी मिल गई है बता दें कि पाकिस्तान यह दूतावास बीते 15 साल से खाली पड़ा है। पाकिस्तान का यह दूतावास वाशिंगटन के बेहद पास के इलाके में है और इसकी कुल कीमत 50 से 60 लाख डालर है।

कर्ज के बोझ के तले तले पाकिस्तान पर चौतरफा मार पड़ी है एक तरफ है। आर्थिक संकट से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ अंदरूनी कलह से परेशान है ऐसे में पाकिस्तान ने खुद को कर्ज से उबारने के लिए अमेरिका स्थित अपने पुराने दूतावास की इमारत को बेचने का फैसला किया है रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के वाशिंगटन स्थित पाकिस्तान के पुराने दूतावास की इमारत को बेचने के लिए उसे फॉरेन ऑफिस से मंजूरी मिल भी गई है। बता दें कि पाकिस्तान का यह दूतावास बीते 15 सालों से खाली पड़ा है सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान का यह दूतावास वाशिंगटन के बेहद पास के इलाके में है और इसकी कुल कीमत 50 से 60 लाख डालर है। पाकिस्तान ने अपनी खस्ता माली हालत को देखते हुए इसे बेचने का फैसला लिया है।
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पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था का हाल –
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बीते कुछ समय से बेहद बुरे दौर से गुजर रही है। देश में महंगाई ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई है देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 6.7 अरब डालर तक नीचे लुढ़क गया है पाकिस्तान की मुद्रा का लगातार डीवैल्युएशन हो रहा है ऐसे में वह एक डालर 224.63 पाकिस्तानी रुपए में खरीद रहा है। पाकिस्तान का निर्यात भी कट रहा है और ऐसे में देश के पास इतनी पर्याप्त विदेशी मुद्दा नहीं है कि वह आयात के लिए भुगतान कर सके अफगानिस्तान और ईरान से आयात भी कम हुआ है क्योंकि पाकिस्तान के पास इसके लिए भुगतान करने का पैसा नहीं है।
दवाइयों के उत्पादन में गिरावट-
पाकिस्तान के मौजूदा आर्थिक संकट ने देश की फार्मा कंपनियों को हाशिए की ओर धकेल दिया है। आयात कम होने की वजह से दवाइयों के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली कच्ची सामग्री भी प्रभावित हुई है। पाकिस्तान दवाइयों के उत्पादन के लिए 19 फ़ीसदी कच्ची सामग्री का आयात करता है डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की सप्लाई भी कम हुई है।
आईएमएफ का कितना कर्ज है पाकिस्तान पर-
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को इससे पहले भी काफी कर्ज दे चुका है 2019 में पाकिस्तानी आईएमएफ से 6 अरब डालर का कर्ज लेने का समझौता किया था यह राशि पाकिस्तान को 3 सालों में किस्तों में दी जानी थी हालांकि इसी दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक निर्णय को आईएमएफ के शर्तों का उल्लंघन करार देते हुए संस्था की ओर से कर्ज जारी रखने पर रोक लगा दी गई थी। दरअसल इमरान खान ने पेट्रोल डीजल पर सब्सिडी देने की घोषणा कर दी थी आईएमएफ ने इसे शर्तों का उल्लंघन माना था नई सरकार के बनने के बाद शहबाज शरीफ ने आईएमएफ से फिर से बातचीत शुरू की है आईएमएफ कड़ी शर्तों के साथ लोन देने के लिए राजी हुआ था 1.2 अरब डॉलर का कर्ज लेने के बाद आईएमएफ का कर्ज बढ़कर $7000000000 हो जाएगा।
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