हिन्दी व्याकरण : संज्ञा, सर्वनाम, संधि, कारक, अलंकार, चौपाई, दोहा

हिन्दी व्याकरण

हिन्दी व्याकरण : भाषा का निर्माण वाक्यों से होता है, वाक्य शब्दों से बनते हैं तथा शब्द मूल-ध्वनियों से निर्मित हैं। श्री कामता प्रसाद गुरु के विचार में, “जिस शास्त्र में शब्दों के शुद्ध रूप और प्रयोग के नियमों का वर्णन होता है, उसे व्याकरण कहते हैं।

संज्ञा“विकारी शब्द जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव तथा प्राणी तथा स्थान आदि का (नाम का) ज्ञान होता है, उसे संज्ञा कहते हैं। संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है – सम् + ज्ञा अर्थात् पूरा पढ़ें….

सर्वनाम – “संज्ञा शब्दों के लिए, उनके स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम के बारे में पूरा पढ़ें…

विशेषण – संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं। विशेषण एक ऐसा शब्द है, जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है. विशेषण के बारे में पूरा पढ़ें….

काल – “क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के वर्तमान काल, भूतकाल अथवा भविष्य में काल होने का ज्ञान होता है, उसे, उसका काल कहते हैं।” काल मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं. (1) वर्तमान काल (Present) (2) भूतकाल (Past) (3) भविष्यत् काल (Future). पूरा पढ़ें….

क्रिया – जिन शब्दों से किसी कार्य का करना या होना समझ में आता है, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे- उठना, बैठना, पढ़ना, जाना, रोना, गाना आदि। क्रिया के बारे में पूरा पढ़ें….

कारक – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका (संज्ञा या सर्वनाम) सम्बन्ध सूचित हो, उसे ‘कारक‘ कहते हैं। कारक के बारे में पूरा पढ़ें….

वचन संज्ञासर्वनामविशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या या गिनती का बोध हो, उसे ‘वचन‘ कहते हैं। वचन का शाब्दिक अर्थ है-‘संख्या वचन’। पूरा पढ़ें….

लिंग – “शब्द की जाति को लिंग कहते हैं।” संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु के ‘नर‘ या ‘मादा‘ होने का ज्ञान होता है, उसे व्याकरण में लिंग कहते हैं। पूरा पढ़ें….

संधि – “निकटतम ध्वनियों के मध्य होने वाले मेल तथा उससे जो विकार होता है, वही संधि है।” पूरा पढ़ें…


Hindi Vyakaran (हिन्दी व्याकरण)

विराम चिन्ह – विराम शब्द का अर्थ है – ठहराव। जीवन के संघर्ष में मानव को समय-समय ठहरना (विराम लेना) होता है। कार्य की निश्चित सफलता के लिए विराम या ठहराव अनिवार्य है। पूरा पढ़ें….

विस्मयादि बोधक चिन्हविस्मयादि बोधक चिन्ह (!) का प्रयोग हर्ष, विषाद, विस्मय, घृणा, आश्चर्य, करुणा, भय, इत्यादि भाव व्यक्त करने के लिए निम्नलिखित दशाओं में होता है. पूरा पढ़ें…

योजक चिन्ह – हिन्दी में अल्पविराम के बाद योजक चिन्ह (-) का अत्यधिक प्रयोग होता है। किन्तु इसके दुरुप्रयोग भी कम नहीं हुए। हिन्दी व्याकरण की पुस्तकों में इसके प्रयोग के सम्बन्ध में बहुत कम लिखा गया है। पूरा पढ़ें…

अल्प विराम चिन्ह अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग सबसे अधिक होता है। अत: इसके प्रयोग से सम्बन्धित नियमों का पूर्ण ज्ञान आवश्यक है। इसका अर्थ है-“थोड़ी देर के लिए रुकना या ठहरना। पूरा पढ़ें…

पूर्ण विराम चिन्ह (।) – इसका अर्थ है, पूरी तरह रुकना या ठहरना। सामान्य दशा में वाक्य या विचार अंतिम दशा में पहुँचकर ठहर जाता है या विचार परिवर्तित होकर नवीन रूप धारण कर लेता है, पूरा पढ़ें….


छन्द की परिभाषा – वाक्य रचना में जब वर्णों अथवा मात्राओं की संख्या, चरण, क्रम, गति, यति, विराम और तुक आदि का नियम माना जाता है, तो वह रचना छन्द कहलाती है।

छन्द के भेद – वर्ण तथा मात्रा के विचार से छन्द के 4 भेद हैं – अर्थात छन्द चार प्रकार के होते हैं.

  1. वार्णिक छन्द
  2. वार्णिक वृत्त
  3. मात्रिक छन्द
  4. मुक्त छन्द

छन्द के भेद पूरा पढ़ें 

संक्षेपण – संक्षेपण स्वयं में पूर्ण रचना है जिसके अध्ययन के पश्चात् मूलसंदर्भ के अध्ययन की कोई आवश्यकता नहीं रहती है। संक्षेपण कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक भावों एवं तथ्यों को प्रस्तुत करने की कला है। पूरा पढ़ें…

शब्द – जिन वर्णों का निर्माण अर्थपूर्ण ध्वनियों के समूह से होता है, उन्हें शब्द कहते हैं।”शब्द वाक्य में दूसरे शब्दों से मिलकर अपना रूप सम्भाल लेता है। शब्दों की रचना ध्वनि और अर्थ के भेद से होती है। पूरा पढ़ें….

वाक्य – मानव के विचारों को सार्थकता से प्रकट करने वाले शब्द समूह को वाक्य कहते हैं।” अर्थ के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं, विधानवाचक वाक्य, निषेधात्मक वाक्य, प्रश्नवाचकवाक्य, विस्मयादिबोधक वाक्य, आज्ञा वाचक, इच्छावाचक पूरा पढ़ें….

वाक्य के घटक – जिन अवयवों को लेकर वाक्य की रचना होती है, उन्हें वाक्य के अंग या घटक कहते हैं। वाक्य के मूल अथवा अनिवार्य घटक हैं. पूरा पढ़ें….

उपसर्ग – उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते हैं जो किसी शब्द से पूर्व प्रयोग में आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है।” उस शब्द के अर्थ को पूर्णत: या अंशत: बदल देता है। पूरा पढ़ें….

प्रत्यय – शब्दों के बाद जो अक्षर या अक्षरों का समूह प्रयोग किया जाता है, उसे प्रत्यय कहते हैं। पूरा पढ़ें….


Hindi Grammar

अव्ययवे शब्द शब्द जिसके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक इत्यादि के कारण परिवर्तन दिखाई न दे, अव्यय कहलाते हैं।” उदाहरण – वाह ! आह ! अरे, ओ, धीरे-धीरे, तेजी से आदि।

निपात – जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लग कर उसके अर्थ में विशेष बल भर देते हैं, वे निपात या अवधारक अव्यय कहलाते हैं।” निपात का कोई लिंग या वचन नहीं होता। पूरा पढ़ें….

विस्मयादिबोधक अव्यय – “हर्ष, आश्चर्य, प्रशंसा, घृणा आदि भावों को प्रकट करने वाले अविकारी शब्द विस्मयादिबोधक अव्यय कहलाते हैं।” जैसे- हाय ! अब मैं क्या करूँ ? पूरा पढ़ें….

सम्बन्धबोधक अव्यय – परिभाषा वे अव्यय शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम के साथ मिलकर उसका सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों से बताते हैं, उन्हें सम्बन्ध बोधक अव्यय कहते हैं। जैसे- (i) खुशी के मारे वह पागल हो गया। पूरा पढ़ें….

क्रिया विशेषण अव्यय – क्रिया विशेषण अव्यय “किसी भी क्रिया शब्द की विशेषता बतलाने वाले शब्द क्रिया विशेषण कहलाते हैं। उदाहरण 1. मीरा मधुर गाती है। पूरा पढ़ें….


वाच्य – क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञान हो कि क्रिया का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म अथवा भाव, उसे वाच्य कहते हैं।” जैसे -सोनिया भाषण दे रही है। पूरा पढ़ें….

वर्तनी – किसी भी भाषा में वर्गों के लिखने के ढंग को वर्तनी कहते हैं। इसे उर्दू भाषा में हिज्जे (Spelling) भी कहा जाता है। भाषा के समस्त वर्णों को बोलने के लिए भी वर्तनी में एकरूपता निश्चित की जाती है। पूरा पढ़ें….

अनुस्वार – अनुस्वार पूर्ण अनुनासिक ध्वनि है। इन वर्णों के उच्चारण में मुँह बन्द करके नाक से ही पूर्ण साँस ली जाती है जैसे – मंडन, चंपक, खंडन, तंतु, रंक। पूरा पढ़ें….

व्यंजन – जिन वर्गों के उच्चारण में स्वर वर्णों की सहायता ली जाती है, उन्हें व्यंजन कहते हैं। प्रत्येक ऐसे वर्ण के उच्चारण में ‘‘ की ध्वनि छिपी रहती है। पूरा पढ़ें….

स्वर – जिन वर्णों (ध्वनियों) के उच्चारण में किसी अन्य वर्गों से कोई सहयोग नहीं लिया जाता, उन्हें स्वर वर्ण कहते हैं। हिन्दी भाषा में ग्यारह स्वर होते हैं पूरा पढ़ें….

हिन्दी वर्णमाला – हिन्दी में कुल 11 स्वर और 41 व्यंजन हैं इन दोनों के मेल से हिन्दी में वर्णों की कुल संख्या 52 हो जाती है। इन 52 वर्णों के उच्चारण समूह को वर्णमाला (Alphabet) कहते हैं। पूरा पढ़ें….

बोली : मानव अपने समूह घरों या स्थानीय क्षेत्रों में जिन बोलियों का प्रयोग करता है उसे वहाँ की बोली कहते हैं. भारत में प्रचलित ऐसी बोलियों की संख्या सैकड़ों में हैं। पूरा पढ़ें…


हिन्दी व्याकरण – समास, रस, अलंकार

समास – दो या दो से अधिक शब्दों (पदों) के मेल से एक नवीन शब्द के निर्माण की प्रक्रिया को ‘समास’ कहा जाता है। जैसे पीतम् अम्बरं यस्य सः (पीले हैं वस्त्र जिसके)। समास के बारे में पूरा पढ़ें….

रस – कविता, कहानी, उपन्यास आदि को पढ़ने या सुनने से एवं नाटक को देखने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे ‘रस‘ कहते हैं। रस काव्य की आत्मा है। पूरा पढ़ें….

अलंकार – काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्त्वों को अलंकार कहते हैं। अलंकार के मुख्य दो भेद हैं—शब्दालंकार और अर्थालंकार। जहाँ शब्दों के कारण चमत्कार आ जाता है वहाँ शब्दालंकार तथा जहाँ पूरा पढ़ें….

चौपाई – चौपाई  में चार चरण होते हैं तथा प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं। चोपाई एक मात्रिक छन्द है। चौपाई के अन्त में 2 दीर्घ (ऽऽ) होते हैं। चौपाई के बारे में पूरा पढ़ें….

दोहा – दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके पहले और तीसरे (विषम) चरणों में 13-13 मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे (सम) चरणों में, पूरा पढ़ें….